Friday, May 24, 2019

मीसा भारती और शत्रुघ्न सिन्हा

अल-जज़ीरा ने लिखा है, ''बीजेपी ने पूरे चुनावी कैंपेन को ऐसे चलाया मानो अमरीका में राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा हो. बीजेपी के एजेंडा में हिन्दूवादी राजनीति प्रमुखता से रही. इतने प्रचंड बहुमत से मोदी की सत्ता में वापसी मुसलमानों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि पिछले पाँच सालों में अतिवादी हिन्दू समूहों ने मुसलमानों पर कई हमले किए हैं.''
अल-जज़ीरा ने लिखा है, ''हालांकि खेती-किसानी और बेरोज़गारी से जु़ड़े कई संकट होने के बावजूद बीजेपी को इतनी बड़ी जीत मिली है. बीजेपी न केवल सीटें बढ़ीं बल्कि वोट पर्सेंटेज भी 10 फ़ीसदी से ज़्यादा बढ़ा है. मोदी की जीत में राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान से तनाव अहम मुद्दा रहा है.''
नजम सेठी ने चैनल 24 पर 'नजम सेठी शो' में कहा है, ''चुनाव में मोदी ने बालाकोट हमले का ख़ूब दोहन किया और भारतीय मीडिया ने भी मोदी का समर्थन किया. मोदी के शासन में भारत एक सांप्रदायिक देश बनेगा और यह पाकिस्तान के ज़िआ-उल-हक़ शासन की तरह होगा. भारत में अब उदारवादी लोग हाशिए पर होंगे और मुसलमान गंभीर उत्पीड़न का सामना करेंगे.''
पाकिस्तान के सरकारी टीवी पीटीवी पर प्रसारित शो 'सच तो यही है' में राजनीतिक विश्लेषक इम्तियाज़ गुल ने कहा कि भारत के आम लोगों ने मोदी का समर्थन इसलिए किया क्योंकि वो आम लोगों की भाषा बोलते हैं. इस शो में मारिया सुल्तान ने कहा कि मोदी ने पाकिस्तान विरोधी बातें ख़ूब कहीं.
सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में कुछ ऐसी सीटें रही हैं जहां दिग्गज प्रत्याशियों की जीत का अंतर बहुत ही कम रहा.
उत्तर प्रदेश के नतीजों पर ग़ौर करें तो ऐसी 9 सीटें रही हैं जहां हार जीत का अंतर 20 हज़ार वोटों से कम रहा.
क़रीब चार सीटें ऐसी रही हैं जहां 10 हज़ार से भी कम वोटों से प्रत्याशियों की जीत हुई है.
सबसे कम अंतर मछलीशहर में रहा जहां बीजेपी के भोलानाथ ने बसपा के त्रिभुवन राम को 181 वोटों से हराया.
इस चुनाव में कुछ ऐसी सीटें भी रही हैं जहां से दिग्गज नेताओं की हार जीत का अंतर बहुत कम रहा है जिनमें बीजेपी की नेता मेनका गांधी प्रमुख हैं.
सुल्तानपुर से उन्होंने प्रतिद्वंद्वी बसपा के चंद्रभद्र सिंह को 14,526 वोटों से हराया. यहां कांग्रेस के उम्मीदवार संजय सिंह को 41,681 वोट मिले.
महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के नेता अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी को भी हार का मुंह देखना पड़ा है.
अजित सिंह को बीजेपी के संजीव कुमार बाल्यान ने 6,526 वोटों से हराया जबकि बागपत से जयंत चौधरी को बीजेपी के सत्यपाल सिंह से 23,502 वोटों से मात दी.
मुजफ़्फ़रनगर में अकेले नोटा पर 5,110 वोट पड़े जबकि चुनाव में खड़े चार निर्दलियों को 13,620 वोट मिले.
बागपत में भी नोटा पर 5041 वोट पड़े और दो निर्दलियों को 3,860 वोट मिले.
सबसे उलटफेर और चौंकाने वाले नतीजे अमेठी और कन्नौज के रहे. अमेठी से स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 55,120 वोटों से हराया जबकि कन्नौज में सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव को बीजेपी के सुब्रत पाठक के हाथों 12,353 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.
अन्य दिग्गजों में सबसे चर्चित हार रही बीजेपी के मुखर नेता संबित पात्रा की जो ओडिशा के पुरी से मैदान में थे.
कड़े मुकाबले में बीजेडी की उम्मीदवार पिनाकी मिश्रा ने उन्हें 11,714 वोटों से हराया. पिनाकी मिश्रा को 5,38,321 जबकि संबित पात्रा को 5,26,607 वोट मिले.
बिहार की जहानाबाद सीट पर भी प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर रही. यहां से जदयू के चंद्रेश्वर प्रसाद ने राजद के सुरेंद्र प्रसाद यादव को 1751 वोटों से हराया.
यहां नोटा पर ही अकेले 27,683 वोट पड़े जबकि सीपीआई-एमएल की कुंती देवी को 26,325 वोट मिले.
बिहार के राजद नीत गठबंधन ने सीपीआईएमएल (लिबरेशन) के लिए आरा की एक सीट छोड़ी थी, जहां से इसके उम्मीदवार राजू यादव केंद्रीय राज्य मंत्री आरके सिंह से 1,47,285 वोटों से हार गए.
आरके सिंह को यहां से 5,66,480 वोट तो राजू यादव को 4,19,195 वोट मिले.
सीपीआईएमएल (लिबरेशन) ने आरा के बदले पाटलिपुत्र की सीट राजद उम्मीदवार के लिए छोड़ी थी.
बिहार की इस चर्चित सीट से राजद के संस्थापक लालू यादव की बेटी मीसा भारती मैदान में थीं, जिन्हें बीजेपी के राम कृपाल यादव ने 39,321 वोटों से हराया. वोट प्रतिशत देखें तो मीसा भारती को 43.63 जबकि राम कृपाल यादव को 47.28 प्रतिशत वोट मिले.
बहुचर्चित पटना साहिब सीट पर चुनावों के बाद बीजेपी से कांग्रेस में आए अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा को बीजेपी के केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के हाथों 2,84,657 वोटों से हार का सामना करना पड़ा.
रविशंकर प्रसाद को 6,07,506 वोट जबकि शत्रुघ्न सिन्हा को 3,22,849 वोट मिले.
इन चुनावों में बिहार की बेगूसराय सीट, कन्हैया की वजह से बहुत चर्चित रही. यहां से मोदी सरकार में मंत्री और अपने बयानों से विवादों में गिरिराज सिंह 4,22,217 वोटों के अंतर से कन्हैया को हराया.
उपेंद्र कुश्वाहा और जीतनराम मांझी महागठबंधन में शामिल होने के बावजूद जीत दर्ज नहीं कर पाए.

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